Maa Durga Aarti Lyrics in Hindi

Maa Durga Aarti Lyrics Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri

Maa Durga Aarti Lyrics Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri

Maa Durga : नवरात्रि माता दुर्गा की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्रि के इन पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है … मां दुर्गा को सृजन की देवी माना जाता है, जो बुराई का नाश करती हैं। उनकी आरती और उपासना करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। जय अंबे गौरी की आरती का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्त सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। प्रथम दिन मां शैलपुत्री , द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी चतुर्थ मां चंद्रघंटा, पंचम स्कंद माता, षष्ठम मां कात्यायनी, सप्तम मां कालरात्रि अष्टम मा महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है, साथ ही माँ की आरती करना जरूरी होती है। आरती के बिना पूजा अधूर मानी जाती है। आइए जानते हैं इन आरती के बारे में ..
Maa Durga Aarti Lyrics ॐ जय अम्बे गौरी, ओ मैया जय श्यामा गौरी …

Maa Durga Aarti Lyrics Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri
Maa Durga Aarti Lyrics Jai Ambe Gauri Maiya Jai Shyama Gauri

ॐ जय अम्बे गौरी, ओ मैया जय श्यामा गौरी
ओ मैया जय मंगल करणी, ओ मैया जय आनन्द करणी ।।
तुमको निशदिन ध्यावत, मैयाजी को सदा ही मनावत
हरि ब्रह्मा शिवहरी ।। ॐ जय अम्बे गौरी
मांग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को
ओ मैय्या टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोऊ नैना, निर्मल से दोऊ नैना
चन्द्र बदन नीकौ ।। ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै, ओ मैय्या रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गल माला, रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै ।।
ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी
ओ मैय्या खड्ग खप्परधारी ।
सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि जन सेवत
तिनके दुःख हारी ।। ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । ओ मैय्या नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, कोटिक चन्द्र प्रभाकर
राजत सम ज्योति ।। ॐ जय अम्बे गौरी
शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती
ओ मैय्या महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, मधुर विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।
ॐ जय अम्बे गौरी
ब्रह्माणी रूद्राणी, तुम कमला रानी, ओ मैय्या तुम कमला रानी ।
अगम निगम बखानी, चारों वेद बखानी, तुम शिव पटरानी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरों
ओ मैय्या नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, बाजत ढ़ोल मृदंगा
और बाजत डमरू ।। ॐ जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता
ओ मैय्या तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुःख हरता, भक्तन की दुःख हरता
सुख सम्पत्ति करता ।। ॐ जय अम्बे गौरी
ओढ़ो पाट पीताम्बर, गल मोतियन माला
ओ मैय्या गल मोतियन माला ।
सेवक शरण तुम्हारी, सेवक शरण तुम्हारी
जय जय जय ज्वाला ।। ॐ जय अम्बे गौरी
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती
ओ मैय्या अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में विराजत, धवलागढ़ में विराजत
कोटि रतन ज्योति ।। ॐ जय अम्बे गौरी
अम्बे जी की आरती जो कोई जन गावै
ओ मैय्या जो कोई जन गावै ।
कहत शिवानन्द स्वामी, भणत हरिहर स्वामी, इच्छा फल पावै ।।
ॐ जय अम्बे गौरी, जय अम्बे गौरी
ओ मैय्या जय श्यामा गौरी, ओ मैय्या जय मंगल करणी
ओ मैय्या जय आनन्द करणी, ओ मैय्या जय ऋद्धि-सिद्धि करणी
ओ मैय्या जय संकट हरणी, ओ मैय्या जय जय जय करणी
तुमको निशदिन ध्यावत, मैय्या जी को सदा ही मनावत
हरि ब्रह्मा शिवहरी ।। ॐ जय अम्बे गौरी

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