Conversation between Father & Daughter

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पापा, मैं भी एक पौधा ही तो हूँ आपके आँगन का
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जिस घर में बेटियाँ पैदा होती हैं ना साहब, उस घर का पिता राजा होता है, क्योंकि परियाँ पालने की औकात हर किसी की नहीं होती।

सोनू सिंघल द्वारा लिखी यह कविता भी पढ़े, Click to Link
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सुबह बगीचे में पौधों को पानी देते-देते; मैं अपनी बेटी के बारे में ही सोच रहा था। अच्छा-सा घर और अच्छा-सा वर देखकर शादी तय तो कर दी, लेकिन मेरी इस सुन्दर व सुशील गुड़िया, जो घर और परिवारजनों सभी में बहुत प्रिय है, उसे जैसे मैं किस्मत के हवाले कर रहा था।
तभी मेरे कानों में आवाज पड़ी; पापा, चाय। मेरे विचारों ने जैसे करवट ली, मैंने बहुत प्यार से उसकी तरफ देखा, उसकी आँखों में कुछ अजीब-सा भाव था, तो मैंने पूछ लिया, तू खुश तो है ना बेटा?
हाँ पापा, उसने कुछ दबा-दबा सा संक्षिप्त उत्तर दिया। फिर उसने ही बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, पापा ये पौधा हम यहाँ से उखाड़ कर पीछे वाले बगीचे में लगा दें तो?
मैं कुछ सोचने की स्थिति में पड़ गया और उससे कहा, बेटा ये चार साल पुराना पौधा है अब कैसे उखड़ेगा और अगर उखड़ भी गया तो क्या दुबारा नई जगह, नई मिट्टी को बर्दाश्त कर पाएगा? कहीं मुरझा गया तो? नहीं-नहीं, ऐसा करना सही नहीं है।
बेटी मुस्कराई और जो उसने कहा दोस्तों, मैं वो सुनकर अन्दर ही अन्दर रोने लगा। वह बोली, पापा मैं भी एक पौधा ही तो हूँ आपके आँगन का। नए परिवेश में जा रही हूँ, नई मिट्टी, नई खाद में; क्या मैं उस माहौल में ढल पाऊँगी? क्या पर्याप्त रोशनी होगी आपके पौधे के पास? आप तो महज चार सालों की बात कर रहे हैं। मैं तो 26 साल पुराना पौधा हूँ आपका। यह कहकर बेटी अन्दर चली गई।

बेटी का हर रूप सुहाना, हृदय में अमिट छाप छोड़ जाता है
मासूमियत का आँचल ओढे, सबके मन को भाता है

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दोस्तों तब मैं समझ गया कि ऐसी शक्ति पूरी कायनात में सिर्फ नारी के पास है, जो यह पौधा नए परिवेश में सिर्फ पनपता ही नहीं, बल्कि खुद नए माहौल में ढलकर ओरों को भी सब कुछ देता है। ताउम्र ओरों के लिए जीता है और आज महसूस हो रहा है ये दूसरी जगह उगे भी रह सकते हैं, हरे-भरे भी रह सकते हैं। नारी एक कल्पवृक्ष ही तो है। सम्पूर्ण नारी जाति को सादर समर्पित। हर पल, हर दिन स्त्री को प्रेम चाहिये, सम्मान चाहिये, प्रतिष्ठा चाहिये – क्योंकि वह माँ है, बहन है, बेटी है, मित्र है, पत्नी है, प्रेमिका है, उसी से घर है, परिवार है, रसोई है, बच्चों का लालन-पालन है, समाज में इज्जत है।
A woman is a Kalpavriksha. Dedicated to the entire female race.

गर्मियों की छुट्टियाँ मायकें में ही बिता दें

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