घर आँगन की बगियां है बेटी
Emotion / Poetry of Daughter
बेटी शब्द छोटा पर अर्थ अपार
ना कोई तोल है ना कोई मोल
समर्पण और सहनशीलता में
इसके जैसा कोई नहीं
रिश्तों के गठबंधन में
इनकी मजबूत साझेदारी
हँसती है तो ऐसे लगता हैं
बिखरे हो आंगन में मोती
घर आँगन की बगियां
को फूलों सा महका देती
अपने बचपन की यादों को
माँ भी उसके संग जी लेती
ईद की मीठी सेवईयों सी
होली के रंगों सी खिलती
रक्षा सूत्र बाँधती, जगमग रोशनी सी
घर में इंद्रधनुष की आभा जैसी
बेटी जब हँसती-मुस्कुराती
– Sonu Singhal, Ajmer
Emotion / Poetry of Daughter
पापा, मैं भी एक पौधा ही तो हूँ आपके आँगन का
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