The Story of the Devotee and God

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भक्त और भगवान की कहानी

The Story of the Devotee and God

एक छोटे से गाँव में टूटी-फूटी सी झोपड़ी में झमकू बाई नाम की बुढ़िया रहती थी। वह भगवान श्रीकृष्ण की परम भक्त थी। झमकू बाई रोज सुन्दर फूलों की माला बनाकर श्री कृष्ण जी को पहनाती थी और घण्टों उनसे बातें करती थी। गाँव के लोग यही सोचते थे कि बुढ़िया पागल है। एक रात श्री कृष्ण जी ने झमकू बाई के सपने में आकर कहा कि कल गाँव में बहुत बड़ा तूफान आने वाला है, तुम यह गाँव छोड़ कर कहीं दूर चली जाओ।

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अपने कान्हा की बात सुनकर झमकू बाई घबरा गई और देर रात में ही उसने अपना सामान इकट्ठा करना शुरू कर दिया और गाँव वालों को भी बताया कि कल सपने में कान्हा जी आए थे और कह रहे थे कि बहुत प्रलय होगा तू कहीं दूर चली जा।

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गाँव के लोग जो उसे पागल समझते थे, वें सब कहाँ बुढ़िया की बात मानने वाले थे। जो भी बुढ़िया की बात सुनता, वो वहीं जोर-जोर से ठहाके लगाने लगता। झमकू बाई ने बैलगाड़ी पर अपने सामान की गठरी लादी और अपने प्रिय कान्हा जी की मूर्ति लेकर बैठ गई। ये सब दृश्य देख गाँव वाले उसकी मूर्खता पर हँसने लगे। झमकू बाई दूसरे गाँव पहुँच गई, लेकिन वहाँ पहुँचने के बाद पहले वाले गाँव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, जैसा कि उसे भगवान ने सपने में बताया था।

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इसी सोच विचार में दो-चार दिन बीत गये। एक दिन वो कृष्ण भक्ति में लीन थी, तो उसने कान्हा से प्रश्न किया कि हे प्रभु मुझे उस गाँव से निकालना ही था तो, ऐसे ही कह देते, प्रलय का डर बताकर गाँव छोड़ने के लिए क्यों मजबूर किया।

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तभी मूर्ति से आवाज आई – अरे माई, चार दिन होई गये, तूने हमको माला नहीं पहनाई। यह सुनकर झमकू बाई बैचेन हो गई और बोली कि मुझसे यह भारी भूल कैसे हो गई ? झमकू बाई अपनी सुई ढूंढने लगी। उसे कहीं पर भी सुई और धागा नहीं मिला। तभी उसे एकाएक याद आया कि उस रात हडबड़ी में वो सुई और धागा वहीं भूल आई। वह बदहवास होकर गिरती-पड़ती अपनी पुरानी झोपड़ी की तरफ निकली। गाँव वालो ने उसके इस पागलपन को देखा और मजाक उड़ाते हुए कहने लगे कि अरे बुढ़िया माई! कहाँ है तेरा तूफान, कहाँ है तेरा प्रलय ……।

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झमकू बाई ने झोपड़ी में तिनकों में फंसी हुई सुई और धागे को निकाला और फिर गिरती-सम्भलती वापस नये गाँव आई। अरे यह क्या? वो जैसे ही पुराने गाँव की सीमा पार करके निकली कि पूरा गाँव ही धरती में समा गया। सब कुछ जलमग्न हो गया।

तब उसे एहसास हुआ कि उस परम पिता परमेश्वर को आपकी एक सुई की भी चिंता है तो सोचो, वह भक्त की रक्षा के लिए कितना चिंतित होते होंगे। जब तक उस भक्त की एक सुई उस गाँव में थी, पूरा गाँव बचा हुआ था।

इसीलिए कहा जाता है कि
भरी बदरिया पाप की बरसन लगे अंगार।
संत न होते जगत में जल जाता संसार।।
बोलो कृष्ण कन्हैयालाल की जय।

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