HOW TO CONSISTENCY IN STUDY

How to Consistency in Study

How to Consistency in Study

इसके लिए आप इस कहानी को पूरा अंत तक पढ़िये –

अभ्यास का महत्त्व

भारत में बहुत वर्षों पहले गुरुओं के सानिध्य में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढ़ते थे। एक बार की बात है, एक बालक को उसके माता-पिता ने पढ़ने के लिए गुरुकुल भेजा। वह पढ़ने में बहुत ही कमजोर था। गुरुजन की कोई भी बात उसके एकदम समझ में नहीं आती थी। इस कारण वह बालक बाकी बालकों के बीच उपहास का पात्र बनता था। परीक्षा देने के बाद वह फैल हो गया और उसके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए। गुरुजनों ने भी आखिर हार मानकर उसे बोला, “बेटा ! हमने सभी प्रयास करके देख लिये है। अब उचित यही होगा कि तुम अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में मदद करो। उस बालक ने भी सोचा कि शायद मेरी किस्मत में विद्या है ही नहीं और वह भारी मन से गुरुकुल से घर के लिए निकल गया।

यह भी अवश्य पढ़े – कैसे मैंने डिजाईनिंग में लगातार अभ्यास करते हुए WhatsApp को दे दिया गजब का आईडिया, जिसे पूरी दुनिया इस्तेमाल कर रही है

https://architaccurate.com/status-tag-the-status/

How to Consistency in Study
दोपहर का समय था तो चलते-चलते उसे प्यास लगने लगी। इधर-उधर देखने पर उसने पाया कि थोड़ी दूर पर ही कुछ महिलाएँ कुएँ से पानी भर रही थी। वह उस कुएँ के पास गया। वहाँ कुएँ से पानी लाने वाली रस्सी से उस जगह के पत्थर पर निशान बने हुए थे। उसने जिज्ञासापूर्वक पानी भर रही उन महिलाओ से पूछा कि पत्थर पर यह निशान आपने कैसे बनाएं। इस सवाल के जवाब पर एक महिला ने कहा कि, बेटा यह निशान हम में से किसी ने नहीं बनाएं है। यह निशान तो पानी खींचते समय इस रस्सी के बार-बार पत्थर से रगड़ खाने से बने हैं।
वह बालक गहरी सोच में पड़ गया और गहन विचार करने लगा कि जब एक रस्सी के बार-बार घर्षण से एक ठोस पत्थर पर भी गहरे निशान बन सकते हैं तो, क्या मैं निरंतर अभ्यास से विद्या ग्रहण नहीं कर सकता। इस तरह का विचार करके वह ढे़र सारे उत्साह के साथ वापस गुरुकुल की ओर चल दिया और पढ़ाई करने में बहुत मेहनत की। गुरुजनों ने भी खुश होकर उसका भरपूर सहयोग किया। कुछ ही सालों बाद वह बालक आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना।

HOW TO CONSISTENCY IN STUDY
HOW TO CONSISTENCY IN STUDY

दोस्तों, इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ‘‘अभ्यास की शक्ति’’ से इस दुनिया में कोई भी काम मुश्किल नहीं है। किसी भी कार्य में सफलता हांसिल करने के लिए अभ्यास बहुत जरूरी है। लगातार अभ्यास से हर सपने को पूरा किया जा सकता है। बिना अभ्यास के कोई भी इंसान सफल नहीं हो सकता। अगर हम बिना अभ्यास के केवल किस्मत या भाग्य के सहारे बैठे रहेंगे तो, आखिर में हमें पछताने के सिवा ओर कुछ भी हांसिल नहीं होगा। भाग्य से बड़ा श्रम होता है। हम अपनी मेहनत से भाग्य को बदल सकते है, लेकिन बिना कोई श्रम किए भाग्य कुछ नहीं कर सकता। कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि भाग्य के बारे में किसी को कुछ नहीं पता। ‘‘महाभारत’’ में ‘‘गीता उपदेश’’ के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने ‘‘कर्म’’ को ही उत्तम बताया है। बहुत से लोग असफल हो जाने पर अपने भाग्य को कोसते हैं और जब अपने आस-पास सफल लोगों को देखते है, तो यही सोचते है कि इनका भाग्य बहुत अच्छा है। लेकिन क्या यही सच है? जब हम अपने जीवन में किसी लक्ष्य को पाने के लिए लगातार कठोर श्रम करते हैं, तो हमारे विचार और कर्म भी पॉज़िटिव होने लगते हैं, जिससे हम अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब हो जाते हैं। इसलिए, जब कभी भी आप किसी कामयाब इंसान से मिलें, तो यह ज़रूर ध्यान रखे कि उस इंसान ने लगातार श्रम करके सफलता हांसिल की है और फिर उसके भाग्य ने उसका साथ दिया है।

How to Consistency in Study
जब हम किसी तरह की अप्रिय स्थिति से गुजरते हैं, तो सबसे पहले अपने आप को पीड़ित महसूस करते हैं। यह सबसे स्वाभाविक मानवीय प्रतिक्रिया है, जो हर एक के साथ में ऐसी स्थिति में घटती ही है। जब आप इस तरह की भावना को पार कर लेते हैं, तो आपको आगे के लिए बेहद स्पष्टता मिल जाती है। हर व्यक्ति जो स्वयं को पीड़ित समझता है, उस समय उसके पास बहुत से लोगों को दोष देने के विकल्प होते हैं। लेकिन अगर उस व्यक्ति के पास काम करते रहने की दृढ़ता और इच्छाशक्ति है तो वह हर बाधा से पार पा सकता है।

architaccurate.com/contact/
youtube.com/@ArchitAccurate
instagram.com/architaccurate
How to Consistency in Study

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *