इतवार का इंतजार
इतवार का इंतजार और
वो छुट्टी का आनन्द
सुबह की मदमस्त हवा
दरिचों से झांकती
सुनहरी धूप और
आलस भरी अंगड़ाईयां
घड़ी के साथ बार-बार
आँख मिचौली खेलना
मुँह ढककर वापस सो जाना
बर्तन बजने की आवाजें
माँ का तेज आवाज में
भजन गाना पर फिर भी
कानों को सुहाना
बच्चों की खुसर-फुसर
पत्नी का बार-बार चादर खींचना
चाय साथ पीने कि जिद
वाला वो प्यार भरा गुस्सा
माँ के पैरों की मालिश करना
पिताजी के साथ उनके
अनुभवों को बाँटना
इतवार के दिन का
इंतजार हर बार रहता
क्योंकि हर इतवार मुझे
बच्चा बना देता
– Sonu Singhal, Ajmer
Waiting for Sunday

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