Emotion / Poetry of Daughter

Emotion / Poetry of Daughter

घर आँगन की बगियां है बेटी

Emotion / Poetry of Daughter

बेटी शब्द छोटा पर अर्थ अपार
ना कोई तोल है ना कोई मोल

समर्पण और सहनशीलता में
इसके जैसा कोई नहीं

रिश्तों के गठबंधन में
इनकी मजबूत साझेदारी

हँसती है तो ऐसे लगता हैं
बिखरे हो आंगन में मोती
घर आँगन की बगियां
को फूलों सा महका देती

अपने बचपन की यादों को
माँ भी उसके संग जी लेती

ईद की मीठी सेवईयों सी
होली के रंगों सी खिलती

रक्षा सूत्र बाँधती, जगमग रोशनी सी
घर में इंद्रधनुष की आभा जैसी
बेटी जब हँसती-मुस्कुराती

– Sonu Singhal, Ajmer

Emotion / Poetry of Daughter

पापा, मैं भी एक पौधा ही तो हूँ आपके आँगन का
यह भी पढ़े Click to Link

architaccurate.com/1211

https://architaccurate.com/1227
youtube.com/@ArchitAccurate
instagram.com/architaccurate

2 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *