Short Life
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Life is Short, Live it Comfortably in these 7 ways

7 Tips, आराम से जियें

छोटी सी जिन्दगी Short Life, don’t let Your Ego come in between, the bond of Relationships is Bigger than Resentment

छोटी सी जिन्दगी Short Life के बीच में न लाएं ईगो – नाराज़गी से बड़ी होती है रिश्तों की डोर

छोटी सी जिन्दगी Short Life के बीच में न लाएं ईगो – नाराज़गी से बड़ी होती है रिश्तों की डोर

आज के समय में घटती सहनशीलता व बढ़ते अकेलेपन में रहने की चाहत से बच्चों और माता-पिता के बीच में अनबन बढ़ती जा रही है। खासतौर पर आजकल के बच्चे सामान्य सी बातों पर भी, कभी अपनी माँ से, तो कभी अपने पिता से नाराज हो जाते हैं। वे दूसरे बच्चों और उनके माता-पिता से खुद को कम्पेयर करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि उनके दोस्तों के माता-पिता उनके माता-पिता से ज्यादा बेहतर है। इस तरह के हालात माता-पिता और बच्चों के बीच की बॉडिंग को कमजोर करते हैं। इसलिए मैं यही कहता हूँ कि छोटी सी जिन्दगी के बीच में ईगो न लाएं, क्योंकि कई बार माता-पिता को यह लगने लगता है कि कहीं ये रोज-रोज की बढ़ती अनबन स्थाई न हो जाए। कहीं ऐसा न हो कि बच्चे किसी परेशानी में हों और वें अपनी परेशानियों को उनके साथ साझा नहीं करें।
जब ऐसा हो, तब माता-पिता को बहुत समझदारी से बच्चों के साथ पेश आना चाहिए। क्योंकि माता-पिता खुद इस दौर से गुजर चुके होते है और वें ऐसे हालातों को गंभीरता से समझ सकते हैं। इसलिए ज्यादा जिम्मेदारी उनके सिर पर है कि वे अपने बच्चों के साथ अच्छी बॉडिंग बनाएं। एक पिता को चाहिये कि वो अपने बेटे या बेटी की बात को बिना सुने या समझे किसी भी तरह की प्रतिक्रिया (रिएक्शन) देने से पहले उनकी बात को ध्यानपूर्वक सुने और फिर ही कोई (प्रत्युत्तर) रेस्पोंड देवें। इससे ये होता है कि किसी अनबन या नाराजगी के बाद भी बच्चे माता-पिता के ओर करीब आ जाते हैं। अमूमन यह तब ही सम्भव होगा, जब माता-पिता ऐसी सिचुएशन को ठीक से हैंडल कर लेेंगे।
बच्चे गलतियां करें तो माता-पिता को चाहिए कि वे उन्हें सहारा दें और उनसे बात करें। अगर माता-पिता खुद ही नाराज होने लगेंगे, तो बात बनने से ज्यादा बिगड़ सकती है। कई काउंसलर कहते है कि बच्चों को यह सिखाया जाना चाहिए वे कैसे सोचें, यह नहीं सिखाना चाहिए कि वे क्या सोचें।

छोटी सी जिन्दगी Short Life में बच्चों से संवाद है बहुत ज़रूरी

बच्चों और माता-पिता के बीच कई बार कहासुनी से बच्चे गुस्सा हो जाते हैं और वे उनकी बात नहीं मानते हैं। बच्चे जब नाराज हो रहे हों, तब माता-पिता को थोड़ा शांत रहना चाहिए। क्योंकि बच्चे जब कमज़ोर मानसिक स्थिति से गुज़र रहे हो, तब माता-पिता का रिऐक्ट करना बच्चों और पेरेंट्स के बीच के रिश्ते को ओर कमजोर कर सकता है। बच्चों के साथ रेगुलर बात करना बहुत जरूरी है। बच्चों से वे जितना अधिक बात करेंगे, उनकी आपसी बॉडिंग उतनी ज्यादा अच्छी होती चली जाएगी। इस छोटी सी जिन्दगी में कम बात करने या कभी-कभी होने वाली बातचीत के दौरान बच्चों के सुझावों को नजरअदांज कर देना या उनकी काबिलियत पर शक करने से दोनों के रिश्तों में फासले आने की सम्भावना कई हद तक बढ़ जाती है।

छोटी सी जिन्दगी A Short Life

माता-पिता अगर समझदारी से काम लें तो कुछ देर या दिनों बाद बच्चों को भी अपनी गलती का एहसास हो ही जाता है और वे माता-पिता से माफी मांगकर उनके ओर करीब आ जाते हैं। एक चीज जो हर माता-पिता को करनी चाहिए, वो ये कि अपने बच्चों के फैसलों में उनका साथ दें। अगर वे एक गलती करते है तो उन्हें ओर मौके देने चाहिये, वहीं हर गलती पर उन्हें प्यार से समझाकर उस गलती से होने वाले नुकसान के बारें में बताना चाहिये।

छोटी सी जिन्दगी Short Life में एक दूसरे से कंपेरिजन बनता है परिवार टूटने की वजह

आज के परिदृश्य में कई संयुक्त परिवार टूटकर एकल परिवार में बदल रहे है। इसकी प्रमुख वजह होती है माता-पिता द्वारा अपने ही बच्चों को तुलनात्मक नजर से देखना। कई संयुक्त परिवार में जब बच्चे छोटे होते है तब तक उनमें बहुत प्यार और विश्वास बना रहता है, लेकिन जैसे ही बच्चे अपनी बाल्यावस्था पूर्ण कर युवावस्था की ओर बढ़ते है तो परिवार के लोग ही उनमें तुलना करने लग जाते है। जैसे छोटे बेटे की मार्केटिंग स्किल अच्छी है, जिससे वह व्यापार करने में माहिर है, इसके विपरित ये कतई जरूरी नहीं है कि बड़े बेटे में ये सभी गुण समान हो। ऐसी स्थिति में माता-पिता को दोनों से रिश्ता निभाते समय मुकाबला या तुलना का भाव मन में रखने के बजाय अथाह प्रेम का भाव रखना चाहिये। कमजोर कड़ी को मजबूती से पकड़ कर उसे सम्बल प्रदान करना चाहिये।

छोटी सी जिन्दगी Short Life में आर्थिक समृद्धि भी बन जाती है घृणा का कारण

परिवार में एक-दूसरे के प्रति घृणा बढ़ने का मुख्य कारण आर्थिक समृद्धि से कम व ज्यादा होना भी है। किसी माता-पिता की दो संतानों में से एक संतान व्यापार या नौकरी के जरीये अपने आप को मजबूत करते चला जाता है, वहीं हो सकता है दूसरी संतान जिसे बचपन से ही कमजोर समझा गया हो और उसकी कभी भी बात ना मानी गई हो तो वह अपनी कच्ची उम्र से ही अपने आप को उस लायक नहीं बना पाता जिसकी कल्पना माता-पिता ने अपने दिलोदिमाग में बना रखी होती है। माता-पिता को चाहिये कि अपनी सभी संतानों के बीच सामंजस्य बनाकर हर एक को अपनी काबिलियत दिखाने व उनके भरोसे पर उतरने के लिए प्रेरित करना चाहिये। क्योंकि संयुक्त परिवार में रह रहे कमजोर व्यक्तित्व को हमेशा प्रोत्साहित करने वाले चाहिये, हतोत्साहित करने के लिए तो दुनिया वाले ही काफी है। एक भाई की लगातार बढ़ती आर्थिक समृद्धि से व दूसरे भाई की घटती आय से परिवार में दिन ब दिन घृणा का माहौल बनने लगता है। बार-बार उस कमजोर भाई को नीचा दिखाने की हरसंभव कोशिश परिवार के ही अन्य सदस्यों द्वारा की जाती है। माता-पिता को चाहिये कि वें अपने सभी बच्चों से समान भाव रखें। जब बुरे समय की मार पड़ती है तो गहरे से गहरे रिश्तें भी बोझ लगने लगते है। रिश्तों में निरंतर प्रगाढ़ता बनी रहने के लिए एक सदस्य का स्वस्थ, सम्पन्न, सुरक्षित, दयालु सहित और भी कई योग्यता वाला होना चाहिये। तब कहीं जाकर वो सामने वाले रिश्तें के साथ उचित न्याय कर पायेगा ओर वह रिश्ता अटूट बनता चला जाएगा।

छोटी सी जिन्दगी Short Life में सभी से प्रेम भाव समान हो, न की अपेक्षा

जब आप परिवार में किसी सदस्य से प्रेम करते हो और उसकी चिंता भी करते हो, लेकिन उस पर विश्वास नहीं करते है तो आप अपनी अपेक्षाओं के तले उसके समर्पण को रौंदने लगते हो। उस शख्स को आपके प्रेम की कई अग्नि-परीक्षाओं से उसे गुज़रना पड़ता है। छोटी सी जिन्दगी में प्रेम की अदृश्य बेड़ियाँ उसके पावों में डाल कर, उसकी स्वतंत्रता और अधिकारों का हनन करके और कभी-कभी तो क्रोध में उसके हर समर्पण को अस्तित्व-विहीन करके आप कहते हैं कि मैंने तुमसे इतना प्रेम किया, फिर भी तुम हो कि खुश ही नहीं रहते। क्या आपने सचमुच प्रेम किया ? क्या आपका उसके प्रति यही प्रेम था ? प्रेम की सटीक परिभाषा तो समर्पण है। प्रेम स्वतंत्रता प्रदान करता है न की किसी एक को बंदिशों में बाँधता है।
प्रेम एक एहसास है, जो दिल से होता है न की दिमाग से। इसमें आपकी शुद्ध भावनाओं व सकारात्मक विचारों का समावेश होता है। सच्चा प्रेम एक-दूसरे के प्रति स्नेह को धीरे-धीरे बढ़ाता है। इस छोटी सी जिन्दगी में प्रेम में एक मज़बूत आकर्षण, परफेक्ट बॉडिंग होती है जो, सब भूलकर उसके साथ हर स्थिति में जीने के लिए प्रेरित करती है। प्रेम को यदि सरलतम शब्दों में कहा जाए तो प्रेम वह आनंदिक अनुभूति है जिसमें आप जिन्हें प्रेम करते हैं, उसकी खुशी ही आपकी खुशी हो जाए, बस; यही प्रेम है।

छोटी सी जिन्दगी Short Life है, प्रोत्साहित करें

यदि आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ स्वस्थ संबंध बनाने में रूचि रखते हैं, तो जिम्मेदारी लेना, स्वस्थ विकास और स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करना, दयालु होना, एक-दूसरे के लिए समय निकालना, प्रभावी ढंग से संवाद करना और स्वस्थ संघर्ष समाधान कौशल का अभ्यास करना सहायक हो सकता है। इस छोटी सी जिन्दगी में परिवार का होना किसी व्यक्ति की अपने प्यार और अपनेपन की ज़रूरतों को पूरा करने की इच्छा से हो सकता है।

छोटी सी जिन्दगी A Short Life

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनमें नए कौशल और क्षमताएँ विकसित होती हैं। घर के बाहर अपनी गतिविधियों को चुनने की स्वतंत्रता विकसित करने के साथ-साथ उन्हें अपनी दुनिया का पता लगाने के अधिक अवसर मिल सकते हैं। एक अभिभावक के रूप में आप भावनात्मक रूप से उनके विकास को मजबूती से प्रोत्साहित कर सकते हैं। जब वे अपनी पहचान तलाश रहे हों, तो उन्हें सहायता प्रदान करें। उन्हें कभी-कभी भावनात्मक रूप से आपसे दूर जाने दें और साथ ही उन्हें वापस लौटने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करें। उन्हें बताएं कि आप उनसे प्यार करते हैं। इशारों, चेहरे के भावों और शारीरिक स्नेह के जरिए उन्हें अपना प्यार दिखाएँ। उनकी बातों और भविष्य की योजनाओं को सुने और उन्हें भरोसा दिलायें की आप उनके साथ है। अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए वें मेहनत कर रहे हो तो, हो सकता है उनसे बार-बार गलती भी होगी, वें गिरेंगे, सम्भलेंगे; लेकिन माता-पिता को उनको हिम्मत बंधाकर एक मजबूत स्तम्भ के रूप में साथ खडे़ रहना चाहिये। कई बार ऐसा होता है कि माता-पिता के पास इतनी धन-दौलत नहीं होती है कि वो बच्चों के अनुसार बताये नये बिजनिस में इनवेस्ट कर सकें, लेकिन वें अपने बच्चे को इतनी हिम्मत तो दे ही सकते है कि ‘‘बेटे तू कर ओर हमें तुझ पर पूरा भरोसा है, हम तेरे साथ है। मैं हर माता-पिता से कहना चाहता हूँ कि ठीक है कि आपका बच्चा गिरता है, असफल होता है, आप पैसा भी लगाते हो और आपको दुःख भी होता है, लेकिन मैं ये 100 प्रतिशत दावें के साथ कह सकता हूँ कि जब भी माता-पिता उस असफल हुए लड़कें के सर पर हाथ रख कर यह कह दें कि ‘‘बेटा कोई बात नहीं, तुमने मेहनत तो की, अगली बार फिर से ट्राई करना, तो उस समय इतना कह देने मात्र से ही उस लड़के के उत्साह में 36 हजार वोल्टेज के जितने करंट का काम हो जाएगा। ऐसी स्थिति में आप उस असफल हुए अपने बच्चे को भला-बुरा या उससे कम बोलने या उसकी बुराई अपने ही परिवार वालों से मत करने लग जाना, क्योंकि ये काम तो दुनिया वाले वैसे भी बिना पैसे के कर ही देते है। छोटी सी जिन्दगी Short Life है वीडियो यहाँ देखें –

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