Respect them too, we become big because of small people

Respect them too, We become Big because of Small People

छोटे लोगों की वजह से ही बड़े बनते हैं हम, जरूर पढ़िये

Respect them too, We become Big because of Small People

जब ईश्वर ने हम सभी को बनाने में कोई फर्क नहीं किया तो भला हमें तो इस बारे में सोचना भी नहीं चाहिये कि मैं बड़ा हूँ, मैं सेठ हूँ या वो गरीब है; वो छोटा है। मनुष्य अपने कर्मों के आधार पर अपनी पूरी ज़िन्दगी व्यतीत करता है। ये बात गाँठ बाँध लो कि, आप जो कर्म आज कर रहे हो, वे ही कर्म आपके कल का निर्माण भी कर रहे है। क्योंकि हम छोटे लोगों की वजह से ही बड़े बनते है। Respect them too, We become Big because of Small People.

अपने से ऊँचे ओदों पर विराजित व्यक्तित्व का सम्मान हम सभी बहुत जोर लगाकर करते है, वही इसके विपरीत हमारे से छोटे या यूँ कहे गरीब, मज़दूर, ऑटो-हाथ रिक्शा चालक, घर पर काम करने वाली बाई, ऑफिस में काम करने वाला स्टाफ या दिहाड़ी मजदूर हो, उससे कई जन सीधे मुँह बात तक नहीं करते है। हमेशा उन्हें दुत्कारते हुए ताना मारा जाता है .. क्योंकि उसका ओदा; आपसे कम है छोटा है।

Respect them too, We become Big because of Small People

कभी सोचा है आपने कि ग़र ये ‘‘छोटे’’ लोग ना हो तो क्या होगा। आप अपने ऑफिस गए और आज आपका चाय बनाने वाला स्टाफ छुट्टी पर है, ज़रा सोचियेगा। आज आपके घर पर झाड़ू-पोछा करने वाली बाई नहीं आए, तो ज़रा सोचियेगा। आज आपको कहीं पार्सल डिलीवर करना है और ऑटो वाला नहीं आया, ज़रा सोचियेगा।

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जुबान का ध्यान रखना चाहिये
जो तुम्हारें यहाँ नौकरी करता है
वो अपने घर का मालिक है

Respect them too, we become big because of small people
Respect them too, We become Big because of Small People

Respect them too, We become Big because of Small People
कभी आपके ऑफिस के बाहर ऑटो वाला कोई भारी सामान लेकर आया और उस ऑटो वाले से वह पार्सल आसानी से उठाया नहीं जा रहा हो तो, आपको भी कभी-कभी अपनी गद्दीदार सीट से उठकर उनकी मदद करनी चाहिये ताकि उनके मन में आपकी गौरवमय छवि बनी रहे। ऐसी कई छोटी-छोटी बातें हमारे रोजमर्रा की ज़िन्दगी में होती है, कोई तो इन्हें नज़र अंदाज़ कर लेता है और कोई इन्हें नज़र में लाकर अपने अंदाज़ से इन्हें समझ लेता है।

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कई बार ऐसा भी होता है कि आपका एक नियमित ऑटो चालक आपका पार्सल कहीं छोड़ने जाता है ओर वह कहता है कि सेठजी आज पेट में दर्द है, किसी को थोड़ी मदद के लिये भेज दीजिये तो कई ‘‘सेठजी’’ यह कहते है कि पेट दुख रहा है तो घर पर बैठ, ऑटो क्यों चला रहा है। अब उस सेठ को क्या पता कि अगर आज वो ऑटो या हाथ रिक्शा नहीं चलायेगा तो शाम को उसके घर का चूल्हा नहीं जलेगा।

अमेरिका के राष्ट्रपति मि. अब्राहम लिंकन ने कहा था कि हर इंसान बराबर होता है, किसी में कोई भेद नहीं। ठीक वैसे ही हमें छोटे या बड़े कार्यों में भी भेदभाव नहीं करना चाहिए। क्योंकि व्यक्ति की सफलता उसके कर्मों से होती है और छोटे कार्य ही मनुष्य को बड़े कार्यों के प्रति प्रेरणा देकर मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ उसके व्यक्तित्व को निखारती है।

मैं तो यही कहना चाहूँगा कि इन ‘‘छोटे लोगों की वजह से ही बड़े बनते है हम’’ तो इनका सम्मान करना भी जरूरी है।
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