चौराहों पर ऐसे स्पीड ब्रेकर्स होने चाहिये
जान-माल की सुरक्षा बढ़ेगी व रखरखाव पर खर्च भी कम आयेगा
प्रिय पाठकों,
देश हो या राज्य या फिर शहर हो या गाँव; सही सड़कें इनकी सुन्दरता में चार चाँद लगाती है। भीलवाड़ा शहर ने पूरे विश्व में टेक्सटाईल व खनिज भण्डार के तौर पर अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। लेकिन शहर की खस्ताहाल सड़कें, टूटे व गंदे सर्किल, अचानक से आने वाले खड्डे तथा सीवरेज के डावांडोल ढक्कनों ने आमजन को काफी परेशान कर रखा है। सैकड़ों टू-व्हीलर तो क्षतिग्रस्त हुए ही है साथ ही कई वाहन चालक घायल होकर शारीरिक कष्ट झेल रहे है।
सड़क निर्माण के समय मुख्य चैराहों या मोड़ पर वाहनों की स्पीड को कंट्रोल करने के लिए कहीं पर भी स्पीड ब्रेकर नहीं बनाये जाते है, जिससे आये दिन छोटी-बड़ी दुर्घटनाएँ होती रहती है। इन सर्किलों पर लाखों रुपए ख़र्च हो जाते है और उससे अधिक खर्च उनके रखरखाव पर होते रहते है। कुछ समय बाद ही इनकी समुचित देखभाल व सफाई ना होने से इनके अंदर झाड़ियाँ उग आती है और बरसात में पानी भर जाने से कीड़े व मच्छरों से डेंगू तथा अन्य मौसमी बिमारीयाँ अपने पैर पसारती है। शहर में होने वाले कई कार्यक्रमों के फ्लेक्स बोर्ड भी इन सर्किलों पर टांग दिए जाते है, जिससे ये देख पाना मुश्किल हो जाता है कि कोई वाहन कितनी गति से आ रहा है और अनजाने में वाहन आपस में टकरा जाते है।
In Public Interest Safety of life
For example, नीचे डेमो में दिये गये मेरे सुझाव अनुसार चैराहों पर सर्किल निर्माण के साथ ‘‘क्राॅस स्पीड ब्रेकर्स’’ बनाने से जान-माल की सुरक्षा बढे़गी और सर्किलों के रखरखाव पर सरकारी खर्च भी बहुत कम आयेगा। इन स्पीड ब्रेकर्स को बहुत ही मजबूती से बनाया जाना चाहिये। इन पर नियमानुसार पेंट, रेडियम मार्किंग भी की जानी चाहिये, ताकि रात्रि में भी इन चैराहों से गुजरने वाले वाहन चालकों को असुविधा ना हो। as well as, मेरा यह सुझाव भी है कि सर्किल के साथ-साथ खतरनाक मोड़ व पतली गलियों से मुख्य सड़क पर आने वाले वाहनों को रोकने के लिए विशेष रूप से गलियों के बाहर भी स्पीड ब्रेकर बनाये जाने चाहिये।
अर्चित अग्रवाल


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