माँ के ममत्व का मोल
The value of mother’s affection
ये बिल क्या होता है माँ ? 10 साल के बेटे ने अपनी माँ से पूछा। तब माँ ने उसे समझाया, जब हम किसी से कोई सामान लेते हैं या काम कराते हैं, तो वह उस सामान या काम के बदले हम से जो पैसे लेता है, और हमें उस काम या सामान की एक सूची बना कर देता है, इसी को हम बिल कहते हैं। लड़के को बात अच्छी तरह समझ में आ गयी। रात को सोने से पहले, उसने माँ के तकिये के नीचे एक कागज़ रखा, जिस पर उस दिन का हिसाब लिखा था।
पास की दुकान से सामन लाया – 30₹
पापा के लिए कंघा लाया – 5₹
दादाजी का सर दबाया – 10₹
माँ की चाभी ढूंढी – 10₹
कुल 55₹ माँ, सुबह मुझे दे देना।
सुबह जब वह उठा तो उसके तकिये के नीचे 55₹ रखे थे। यह देखकर वह बहुत खुश हो गया। तभी उसने एक ओर कागज़ वहीं रखा देखा। जल्दी से उठाकर कागज़ को पढ़ा। कागज में माँ ने लिखा था
जन्म से अब तक पालना पोसना – 00₹
बीमार होने पर रात-रात भर छाती से लगाये घूमना – 00₹
स्कूल भेजना और घर पर होमवर्क कराना – 00₹
सुबह से रात तक खिलाना, पिलाना – 00₹
तुम्हारे कपड़े धोकर उनकी प्रेस करना – 00₹
तुम्हारी अधिकतर माँगे पूरी करना – 00₹
कुल रूपये हुए – 00₹
ये अभी तक का पूरा बिल है, इसे जब चुकता करना चाहो कर देना। ये सब पढ़कर लड़के की आँखे भर आयी और माँ के पैरों में झुककर बोला, माँ तूने बिल में मोल तो लिखा ही नहीं है। तब माँ ने कहा कि ये तो अनमोल है, इसे चुकता करने लायक धन दुनिया में किसी के पास नहीं है और यह कहते हुए उसने अपने बेटे को गले से लगा लिया।
The value of mother’s affection
तेरी ऊँगली पकड़ के चला
ममता के आंचल में पला
माँ ओ मेरी माँ मैं तेरा लाडला
बनके तेरा साया मैं तुझको थाम लूँ
उठके रब से पहले मैं तेरा नाम लूँ
रखूँ तुझे पलकों तले पूजा करूँ तेरी
तेरे सिवा तू ही बता क्या ज़िन्दगी मेरी
मैं तो तेरे सपनो के रंग में ढला
तेरी ऊंगली पकड़ के चला
ममता के आंचल में पला

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