जैसे-जैसे पेड़ बढ़ते हैं, वातावरण में नमी बढ़ती हैं
संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर वर्ष 1972 में पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु “विश्व पर्यावरण दिवस” 5 जून को मनाने की घोषणा की थी।
WORLD ENVIRONMENT DAY 5th June
वृक्षों को नहीं काटिये, रहे सदा ये ध्यान।
निर्जीव नहीं है ये, इनमें बसते प्राण।
वायु को करते शुद्ध, जीव अनेक हैं पलते।
पाकर आश्रय इन पर वें फूलते फलते।
पर्यावरण क्या है ? What is environment ?
पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर है, जिसमें जीवित और निर्जीव दोनों चीजें शामिल हैं, जैसे मिट्टी, पानी, जानवर और पौधे, जो खुद को अपने परिवेश के अनुसार ढाल लेते हैं। यह प्रकृति का उपहार है जो पृथ्वी पर जीवन को फलीभूत व पोषित करने में मदद करता है। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में पर्यावरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। पर्यावरण शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द “Environ” से हुई है जिसका अर्थ है ‘‘आसपास’’। प्रकृति में पाया जाने वाला प्राकृतिक रूप से निर्मित जैविक वातावरण जिसमें रेगिस्तान, जंगल, घास के मैदान, झीलें, पहाड़, तालाब, नदियां व महासागर आदि शामिल हैं। मनुष्य द्वारा बनाये गये कृत्रिम वातावरण जिसमें मछलीघर, खेत, उद्यान, पार्क, चिड़ियाघर आदि शामिल हैं। जैविक पर्यावरण में जीवित जीव जैसे पशु, पक्षी, जंगल, कीड़े, सरीसृप और सूक्ष्मजीव जैसे शैवाल, बैक्टीरिया, कवक, वायरस आदि शामिल हैं। अजैविक पर्यावरण में सभी निर्जीव घटक जैसे हवा, बादल, धूल, भूमि, पहाड़, नदियां, तापमान, आद्र्रता, पानी, जल वाष्प, रेत, आदि शामिल हैं।
भीलवाड़ा शहर की एक काॅलोनी में हर घर के बाहर 3 से 4 अशोक के पेड़ लगे हुए है, जिनकी देखभाल हर काॅलोनीवासी सच्ची निष्ठा से करता है। जमीनों की कीमतों में वृद्धि के लिए ये एक कारगर उपाय है, तभी तो कहा गया है कि ‘‘कर भला-तो हो भला’’
पर्यावरण का महत्व Importance of Environment
पर्यावरण स्वस्थ जीवन और ग्रह पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पृथ्वी विभिन्न जीवित प्रजातियों का घर है और हम सभी भोजन, हवा, पानी और अन्य जरूरतों के लिए पर्यावरण पर निर्भर हैं। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपने पर्यावरण को बचाना और संरक्षित करना महत्वपूर्ण है।
पर्यावरण पर मानवीय गतिविधियों का प्रभाव Impact of Human Activities on the Environment
विभिन्न प्रकार की मानवीय गतिविधियाँ हैं जो सीधे तौर पर पर्यावरणीय आपदाओं के लिए जिम्मेदार हैं, जिनमें शामिल हैं- अम्लीय वर्षा, महासागरों का अम्लीकरण, जलवायु में परिवर्तन, वनों की कटाई, ओजोन परत का ह्रास, खतरनाक कचरे का निपटान, ग्लोबल वार्मिंग, अधिक जनसंख्या, प्रदूषण , वगैरह।
जिंदगी के हर मोड़ पर वृक्ष की होती है अहम भूमिका Key Role
एक व्यक्ति चैबीस घंटे में औसतन 550 लीटर आक्सीजन का उपयोग करता है। जबकि एक पेड़ इतने ही समय में 55 से 60 लीटर आक्सीजन उत्सर्जित करता है। इस तरह से प्रत्येक व्यक्ति को इस धरा पर जीवित रहने के लिए उसके हिस्से की आक्सीजन आपूर्ति के लिए दस पेड़ चाहिए इसलिए पर्यावरण संरक्षण को समझ कर ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं।
इंसान हो या पशु-पक्षी हर किसी को आक्सीजन की जरूरत होती है। बिना आक्सीजन के व्यक्ति एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता है इसलिए आक्सीजन बनाने के लिए पौधों का होना अत्यंत आवश्यक है। इसकी महत्ता को हर किसी को समझना होगा। जब तक हर व्यक्ति के अंदर पेड़-पौधों का आदर नहीं होगा तब तक पर्यावरण प्रदूषित होता जाएगा और इंसान के लिए खतरे की घंटी तेज होती जाएगी।
रोजमर्रा में हर मोड़ पर पौधों की जरूरत पड़ती है। चाहे वह हवा की हो, पानी की हो, छाया की हो या फिर उसके फल व लकड़ी की बात हो। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो अगर आप एक आम का पौधा लगाते हैं तो उसका फल आप के साथ आपके परिवार के लोग खाते हैं, लेकिन उससे छाया कई इंसान और पशु लेते हैं। कई पक्षियों का आशियाना भी उसी पेड़ पर होता है।
हमारे वायुमंडल में अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड जमा हो रही है, जो जलवायु परिवर्तन में योगदान दे रही है। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, कार्बन को हटाते हैं और संग्रहीत करते हैं जबकि ऑक्सीजन को वापस हवा में छोड़ते हैं। एक वर्ष में, एक एकड़ परिपक्व पेड़ उतनी ही मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं जितनी आप अपनी कार को 26,000 मील चलाने पर पैदा करते हैं। पेड़ गंध और प्रदूषक गैसों (नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, सल्फर डाइऑक्साइड और ओजोन) को अवशोषित करते हैं और हवा से कणों को अपने पत्तों और छाल पर फंसाकर उन्हें फिल्टर कर देते हैं। एक वर्ष में एक एकड़ परिपक्व पेड़ 18 लोगों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन प्रदान कर सकते हैं। पेड़ हमारे घरों और सड़कों को छाया देकर अपने पत्तों के माध्यम से हवा में जल वाष्प छोड़कर शहर को 10 डिग्री तक ठंडा करते हैं।
एक परिवार के घर के चारों ओर रणनीतिक रूप से लगाए गए तीन पेड़ गर्मियों में एयर कंडीशनिंग की जरूरतों को 50 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। अपने घरों को ठंडा करने के लिए ऊर्जा की मांग को कम करके, हम बिजली संयंत्रों से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषण उत्सर्जन को कम करते हैं। पेड़ बारिश के पानी को रोककर अपवाह को कम करते हैं, जिससे पानी तने से नीचे बहकर पेड़ के नीचे की धरती में चला जाता है। यह तूफानी पानी को प्रदूषक पदार्थों को समुद्र में ले जाने से रोकता है। जब मल्चिंग की जाती है, तो पेड़ एक स्पंज की तरह काम करते हैं जो इस पानी को प्राकृतिक रूप से फिल्टर करता है और इसका उपयोग भूजल आपूर्ति को रिचार्ज करने के लिए करता है।
पहाड़ी ढलानों या नदी की ढलानों पर पेड़ जल प्रवाह को धीमा कर देते हैं और मिट्टी को अपने स्थान पर बनाए रखते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि जिन रोगियों की खिड़कियों से पेड़ों का नजारा दिखता है, वे जल्दी ठीक होते हैं और उन्हें कम जटिलताएँ होती हैं। पेड़ों और प्रकृति के संपर्क में रहने से मानसिक थकान कम होती है और एकाग्रता में सहायता मिलती है।
जब एक वृक्ष कटता है तो वह केवल वृक्ष ही नहीं कटता उससे मिलने वाली सभी चीजें तथा उस पर उगने वाली वनस्पतियाँ, जड़ी बूटियाँ, औषधीय तत्व, पेड़ों पर रहने वाले पशु पक्षी, कीड़े मकोड़े सभी का नाश होता है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई का मूल कारण बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण तथा औद्योगीकरण है। उपरोक्त समस्याओं की वजह से मनुष्य की आवश्यकताएं बढ़ी हैं। स्वार्थी मनुष्य के कृत्यों से आज पर्यावरण को खतरा पैदा हो गया है। यदि समय रहते इस ओर विशेष ध्यान न दिया गया तो आने वाले समय में बाढ़, प्रदूषण, तापमान में वृद्धि, सूखा, भूमि का मरूस्थल में बदलना, अनियंत्रित वर्षा, जल संकट, ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से समुद्र तटीय क्षेत्रों का जलमग्न होना, जीवन संकट, गम्भीर व लाईलाज बीमारियाँ
पेड़ों की घटती संख्या Decreasing Number of Tree
आधुनिकीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण बढ़ते आवास की पूर्ति के लिए अत्यधिक मात्रा में पेड़ों की कटाई हो रही है। मनुष्य इतने स्वार्थी हो चुके हैं कि अपने लाभ के लिए वे कुछ भी करने को तैयार हैं। पेड़ों की संख्या में तेजी से गिरावट आने के कारण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह विडियो जरूर देखें –
https://www.youtube.com/shorts/XCe4iWRgL1M
पर्यावरण को कैसे बचाएं How to save the environment
पुरानी वस्तुओं का पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग हमारे पर्यावरण को बचाने और अधिक सामग्री को लैंडफिल से दूर रखने के कुछ सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। जब उपकरणों का उपयोग नहीं हो रहा हो तो उन्हें बंद करके हम घर में ऊर्जा के उपयोग को कम कर सकते हैं। ऐसा करने से हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली गैस/बिजली की मात्रा कम हो जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप वायुमंडलीय तापमान कम हो जाएगा। एक तरीका यह है कि प्लास्टिक बैग का उपयोग बंद कर दिया जाए, क्योंकि ये बैग अक्सर लैंडफिल में चले जाते हैं। इन्हें छोटे विषैले कणों में विघटित होने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं जो हमारे महासागरों और आस-पास के जल निकायों तक पहुँचते हैं।
अधिक से अधिक पेड़ लगाने से वातावरण में प्रदूषण कम होता है और हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है जिससे पर्यावरण को मदद मिलती है। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जो जीवित जीवों को जीवित रहने के लिए सांस लेने में मदद करता है। यह ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने में भी मदद करता है। संक्षेप में, अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, अपने पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए अपने पर्यावरण को बचाना महत्वपूर्ण है। यह पृथ्वी पर जीवन को संरक्षित और संरक्षित करने और हमारे ग्रह को भावी पीढ़ियों के लिए रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं और प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। मिट्टी को अपनी जड़ों से पकड़कर रखने से मिट्टी के कटाव को कम करने में भी मदद मिलती है। पेड़ वायुमंडलीय कार्बन को अवशोषित करते हैं और इसे अपनी लकड़ी और छाल में संग्रहीत करते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की दर धीमी हो जाती है।
पर्यावरण बचाओ निबंध एक आवश्यक विषय है जिसे हर बच्चे को सीखना और समझना चाहिए। हमारा पर्यावरण बचाओ निबंध लिखने से उन्हें प्रकृति के मूल्यों और महत्व को समझने में मदद मिलती है। हमारा ग्रह जलवायु आपातकाल का सामना कर रहा है, और हम पहले से ही इसके परिणाम भुगत रहे हैं। इसे रोकने के लिए, बहुत देर होने से पहले अपने पर्यावरण को बचाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके पर्यावरण की रक्षा करना संभव है। इन छोटे बदलावों के परिणामस्वरूप अंततः प्रयास के लायक महत्वपूर्ण परिवर्तन होंगे।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख को पढ़ने के बाद आपको यह एहसास हो गया होगा कि पेड़-पौधें हम सभी के लिए कितने जरूरी और अहम है। इसलिए हमें इनके संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। साथ ही पेड़ों से बनी चीजों का इस्तेमाल कम से कम व सोच समझकर करना चाहिए। हम इसके लिए एक प्रण ले सकते हैं कि हम अपने जीवन में आने वाले उत्सवों, वार-त्यौहारों पर एक पेड़ जरूर लगाएं और उसकी सेवा एक अपने बच्चे की तरह करें और साथ ही अन्य लोगों को भी प्रेरित करें।
पेड़ों का संरक्षण Protection of Trees
यदि हमें आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर परिवेश देना है तो हमें पेड़ों की सुरक्षा करनी होगी। हमे पेड़ों की कटाई में कमी लाकर और अधिक से अधिक पौधारोपण करके उन्हें एक बड़ा पेड़ बन जाने तक देखभाल करनी होगी। पेड़ों के संरक्षण के लिए भारत में कई तरह के आंदोलन भी चलाये गए जैसे “चिपको आंदोलन” आदि। आजकल देश और राज्य की सरकारें मिलकर कई तरह के कैंपेन चला रहें हैं ताकि पौधारोपण के लिए लोगों को प्रेरित किया जा सके। वातावरण में बढ़ती हीट-वेव से अचंभित होने की जरूरत नहीं है। यह हमारे जीवन को जीने व कर्मों का ही फल है। पर्यावरण की चिंता जब तक हमारे मस्तिष्क में नहीं आएगी तब तक यह हीटवेव ऐसे ही बढ़ती रहेगी, जिसके हकदार केवल हम होंगे। जिसका खामियाजा हमारी आने वाली पीढ़िया भुगतेगी। इसे आज और अभी से सम्भलना ही एकमात्र उपाय है। हवा, पानी, मिट्टी सबकुछ तो हमने अपने आँख की किरकिरी बना रखा है। ‘‘धरती हमारी माँ है’’ कह देने से उस माँ का सम्मान नहीं हो जाता। पूरे सालभर पेड़ों को काटने के बाद बढ़ती गर्मियों में ही हरियाली देखने पहाड़ों में जाने का दिल करता है।
पेड़ के बारे में रोचक तथ्य Interesting Facts About Tree in Hindi
पेड़ पृथ्वी में पाया जाने वाला एक मात्र ऐसा प्रजाति है जो सबसे लंबे समय तक जीवित रहता है। पृथ्वी पर सबसे पुराना पेड़ 5000 साल से अधिक पुराना माना जाता है। दुनिया भर में पेड़ों की संख्या 30 खरब 40 अरब है जो मनुष्य की दिमाग में पायी जाने वाली कोशिकाओं से भी ज्यादा है। एक पेड़ हर वर्ष लगभग 20 हजार लीटर पानी धरती से अवशोषित कर लेता है। एक पेड़ अपने सम्पूर्ण जीवन काल में लगभग 1000 किलो कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण कर लेता है। पेड़ एक मात्र ऐसा प्रजाति है जिसके आस पास रहने मात्र से मनुष्य के स्ट्रेस लेवल में असाधारण परिवर्तन देखने को मिलता है।
ऐसा कौन सा पेड़ है जिसका हर भाग उपयोगी होता है? सहजन का पेड़।
कौन सा पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करता है? बरगद, नीम और पीपल का पेड़।
भारत का राष्ट्रीय पेड़ कौन सा है? बरगद का पेड़।
सबसे विशाल बरगद का पेड़ पश्चिम बंगाल के हावड़ा शहर में स्थित करीब 250 साल से ज्यादा पुराना बरगद का वृक्ष है। स्थानीय लोगों का मानना है कि 1787 में जब इस वृक्ष के आस-पास आचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान को स्थापित किया गया था, उस वक्त इस वृक्ष की आयु 15 से 20 साल की थी। इस लिहाज से देखने पर आज इस बरगद की उम्र लगभग 250 साल से भी अधिक हो सकती है। इस वृक्ष को दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि इसके आस-पास एक पूरा जंगल स्थित है। दरअसल, इस बरगद के पेड़ की शाखाओं से निकली जटाएँ पानी की तलाश में जमीन के नीचे काफी गहराई में जा पहुँची हैं, जो अब वृक्ष के जड़ के रूप में इसे पानी और सहारा देने का काम करती है। यह वृक्ष जिस वनस्पति उद्यान में स्थित है वहाँ संसार के पाँच महाद्वीपों से एकत्रित किये गये कई अन्य वृक्ष भी देखे जा सकते हैं परन्तु आगंतुकों के बीच सदैव से यह बरगद का वृक्ष आकर्षण का कारण बना रहा है।
1884 और 1925 में आए 2 चक्रवाती तुफानों के कारण इस वृक्ष को काफी नुकसान पहुँचा था और इसके शाखाओं में फफूंदी लग गई थी। इस कारण 1925 में इसके एक मुख्य शाखा को काटना पड़ गया था। 14,500 वर्ग मीटर में फैला यह वृक्ष तकरीबन 24 मीटर ऊँचा है। इसकी 3 हजार से अधिक जटाएँ हैं, जो अब जड़ों में बदल चुकी हैं। इसके मूल तने की परिधि वर्तमान में लगभग 18.918 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। वृक्ष की परिधि लगभग 486 मीटर है। इसकी सबसे ऊँची शाखा 24 मीटर लंबी है। वर्तमान में जमीन तक पहुंचने वाली इसके स्तंभ जड़ों की कुल संख्या 3,772 है।
इसे दुनिया का सबसे चैड़ा पेड़ या वॉकिंग ट्री भी कहा जाता है। इस पेड़ पर पक्षियों की 80 से अधिक प्रजातियाँ निवास करती हैं। 19वीं शताब्दी की कुछ यात्रा वृत्तातों में भी इस वृक्ष का उल्लेख देखने को मिलता है। इसकी विशलता को देखते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी इसका नाम दर्ज किया गया है। इस विशाल बरगद के वृक्ष के सम्मान में भारत सरकार ने साल 1987 में एक डाक टिकट जारी किया था। यह वृक्ष भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण का प्रतीक चिह्न भी है।
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