How to Control Anger, because it Leads to Success
पॉजिटिविटी कोई रॉकेट साइंस नहीं, यह एक मानवीय भावना है, जो आशा, उत्साह, उदारता, कृतज्ञता और संतोष जैसे घटकों से मिलकर बनती है …
जब हम किसी की सफलता की कहानी सुनते हैं, वो चाहे वह विश्व विजेता बनने की हो या अपने क्षेत्र में शिखर तक पहुँचने की हो या फिर दूसरों के जीवन में परिवर्तन लाने की, तो प्रत्येक व्यक्ति उसे अपनी सोच और संवेदना के अनुसार ग्रहण करता है। अवश्य ही, चाहे वह इतिहास के अर्जुन हों या आज के खेल जगत के उभरते सितारे, एक बात तो साफ है कि उन्होंने अपनी कला को निखारने में वर्षों की कड़ी साधना की है। परंतु उनकी उपलब्धियों से भी अधिक जो बात हमारे हृदय को छू जाती है, वह है उनकी स्वाभाविक शालीनता और गरिमा । दृढ़ता के साथ-साथ उनकी दीनता, सत्यनिष्ठा और सहानुभूति जैसे गुण भी उनकी महानता को दर्शाते हैं, जो पदक और पुरस्कारों से कहीं अधिक मूल्यवान हैं।
आज हम बात कर रहे है भारत देश के शतरंज खेल के युवा खिलाड़ी डी. गुकेश की, जिनकी हाल ही की उपलब्धियों ने विश्व भर में सराहना बटौरी है। शतरंज के विश्व विजेता मैग्नस कार्लसन ने गुकेश की विश्वस्तरीय जीत पर संदेह भी जताया था। उन्होंने यह संकेत देते हुए कहा कि गुकेश की जीत पूर्ण रूप से न्यायोचित नहीं थी।
2025 की नॉर्वे शतरंज प्रतियोगिता में जब गुकेश ने पहली बार क्लासिकल फॉर्मेट में कार्लसन को हरा दिया। वह क्षण अत्यंत तनावपूर्ण था। कार्लसन, जो सामान्यतः शांत रहते हैं, इस बार भयंकर रूप से क्रुद्ध हो उठे और आक्रोश में उन्होंने मेज पर हाथ पटक दिया, जिससे शतरंज की मोहरे इधर-उधर बिखर गई। वहीं गुकेश, जीत के क्षण में भी शांत, स्थिर और संयमित बने रहे। यह उनकी भावनात्मक परिपक्वता का एक जीवंत उदाहरण था, जिसे दुनिया ने देखा और महसूस किया। उस क्षण ने एक वास्तविक चौम्पियन की विशेषता को प्रकट किया, जो न केवल बाहरी प्रतिद्वंद्वियों, बल्कि अपने आंतरिक व्यक्तित्व पर भी विजय प्राप्त करने को दर्शा रहा था।
तब गुकेश ने साक्षात्कारों में कहा कि शतरंज ने मुझे धैर्य और एकाग्रता सिखाई। इस सफलता में असफलताएँ मेरी सबसे बड़ी शिक्षक रहीं। प्रत्येक पराजय ने सूक्ष्म विश्लेषण और अपनी त्रुटियों से प्राप्त अनुभव के माध्यम से मुझे आत्म-सुधार का मार्ग दिखाया है।
इस युवा खिलाड़ी की जीवन-गाथा हम सभी को प्रेरणादायक अंतर्दृष्टि प्रदान करती है चाहे हमारा कार्यक्षेत्र कोई भी हो या लक्ष्य कितना भी भिन्न क्यों न हों। यह हमें कठिनाइयों के समक्ष धैर्य बनाए रखने तथा पराजय में भी अपने आत्मबल को अडिग बनाए रखने की प्रेरणा देती है। तनावपूर्ण से तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी संयमित प्रतिक्रिया और अनुभवजनित सीख से आत्म-सुधार की क्षमता, उसकी समोत्थान- शक्ति को दर्शाती है।
ये सभी गुण एक गहन सत्य की ओर संकेत करते हैं कि बाहरी उत्कृष्टता प्रायः अंतर्मन पर विजय का परिणाम होती है। असाधारण उपलब्धियों के पीछे एक अनुशासित मन की अहम भूमिका होती है, जो स्वस्थ आदतों के निर्माण, स्पष्ट उद्देश्य और दृढ़ नैतिक मूल्यों पर टिका होता है। यही आंतरिक समरसता वह सम्बल बनते हैं, जो हमें चुनौतियों, असफलताओं और आत्मविकास से भरी दीर्घ यात्रा पर अडिग बनाए रखते हैं। क्या हम भी अपने जीवन में चौम्पियन बनकर उभर सकते हैं?

हम समझते हैं कि खुश या प्रसन्न रहना कोई गूढ़ विज्ञान, शोध या युक्ति है, या यह एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है। जबकि सच्चाई यह है कि खुशी ऐसे मानवीय पहलुओं से मिलकर बनती है, जिनसे हम आप सभी परिचित हैं। नए शोधों से भी यही प्रमाणित होता है।
.पॉजिटिव साइकोलॉजी का एक अध्ययन बताता है कि सिर्फ सफलता पाना ही खुशी का स्रोत नहीं हो सकता है, बल्कि अपने भीतर के मानवीय पक्ष को जीवित रखने में कामयाब रहना भी प्रसन्नता का कारण बन सकता है। और ये मानवीय पहलू हमारे निजी जीवन से जुड़े होते हैं। जीवन में किसी प्रयोजन-भावना का होना, अपने काम से संतुष्ट होना, जो मिला है उसके प्रति कृतज्ञता का भाव, परोपकार या दूसरों की मदद करने से मिलने वाली खुशी भी हमें भीतर से सशक्त और सकारात्मक बनाती है।
पॉजिटिविटी कोई रॉकेट साइंस नहीं, यह एक मानवीय भावना है, जो आशा, उत्साह, उदारता, कृतज्ञता और संतोष जैसे घटकों से मिलकर बनती है …
How to Control Anger गुस्से पर नियंत्रण करें
सोशल मीडिया के इस दौर में मनुष्यों का धैर्य और अपनी भावनाओं पर नियंत्रण क्षीण हो रहा है। इसमें भी गुस्से की भावना अहम है, जो चिड़चिड़ाहट, तुनकमिजाजी, आक्रोश आदि के रूपों में प्रकट होती है। किंतु स्वयं को इस भावना के अधीन बना देने से बड़ी हानि कोई दूसरी नहीं । गुस्से पर नियंत्रण धीरज और संयम से होता है। इसलिए अगली बार जब भी गुस्सा आप पर हावी हो, धीमी सांस लें और आत्ममंथन करें। आप अगर अपनी सांसों की गति पर नियंत्रण रखना सीख गए तो क्रोध को भी नियंत्रित कर सकेंगे। धीरे-धीरे बोलने या कुछ देर रुककर बोलने से भी गुस्से पर अंकुश लगाने में मदद मिलती है। संकल्प लें कि क्रोध जैसी नकारात्मक भावना में बहने के बजाय उस पर नियंत्रण करेंगे।
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